दिसम्बर 2021 में, भारत के रोहतक में रहने वाले 30 वर्षीय राहुल नाम के युवक को फेसबुक पर एक मैसेज आया। मैसेज एक महिला का था, जिन्होंने राहुल को अपना नाम पायल बताया।

राहुल, जिनका नाम इस रिपोर्ट में गुप्त रखा गया है, उन्हें पायल की बातचीत, लहजे व प्रोफाइल पिक्चर देख लगा कि पायल एक ऐसी लड़की थी जो आसानी से सेक्स, जो आज भी भारत में निषेध है, उसके लिए राज़ी हो जाएंगी। शुरुआती तौर पर राहुल ने पायल से कुछ बातचीत की और दोनों के बीच एक सुखद वार्ता का आदान-प्रदान शुरू हुआ। पायल ने राहुल से कुछ निजी सवाल भी किए, जैसे उनका पता, व्यवसाय व उनकी वैवाहिक स्थिति।

तकरीबन एक दिन बाद, पायल ने बात कुछ आगे बढ़ाई और राहुल से वीडियो कॉल पर इंटरनेट के ज़रिए सेक्स करने की पहल की। राहुल खुद को रोक न सका। “अब मैं आपको … मैं अपने बारे में क्या बताऊ — जब सामनेवाले ने ऑफर किया, मैं ऐग्री [agree] हो गया,” राहुल ने रेस्ट ऑफ वर्ल्ड को बताया।

लेकिन जैसे ही कॉल खत्म हुआ, चीजों का रूख बदल सा गया। फोन कटने के दो मिनट बाद, पायल ने राहुल को एक मैसेज किया और 2,000 रुपयों की मांग रखी। जवाब में राहुल ने अब तक तनख्वा न मिलने का बहाना बनाया।

कुछ घंटों बाद, एक अंजान व्हाट्सऐप से राहुल को कुछ देर पहले की पायल के साथ हुई अंतरंग कॉल की वीडियो आई। तब जाकर राहुल को इस बात का एहसास हुआ कि शायद जिस पायल से वह बात कर रहा था, वो शायद वो थी ही नहीं जो उसने खुद के बारे में बताया था। उसके साथ धोखाधड़ी हुई थी — जो वीडियो उसे कॉल के वक्त दिखाई दे रही थी, वह पहले ही रिकॉर्ड की जा चुकी थी। और इस दौरान जब राहुल को लगा कि वह पायल से बात कर रहा है, कुछ लोगों ने गुप्त रूप से उसकी वीडियो रिकॉर्ड कर ली। 

“उसने मेरा डेटा चुरा लिया … मेरे फोटो, मेरी मिसेज़ [Mrs.] के, पूरे परिवार के, जो-जो कॉमेंट आए थे, मेरी फ्रेंड सर्कल — जो भी थे [मेरी फेसबुक पे],” उसने कहा। “उन्होने दो मिनट के अंदर-अंदर …सारे उसने विडिओ भेज दिये, मेरी फोटो वगैरह सब कुछ भेज दिए…मैं डर गया।”

पायल (या जो भी इस रहस्यमयी अकाउंट के पीछे था) राहुल की वीडियो पैसे नहीं देने की स्थिति में उसके फेसबुक के दोस्तों को भेजने की धमकी दे रहा था। राहुल का कहना है, उन्होंने धमकी दी कि पायल उसके खिलाफ बलात्कार का केस दर्ज करेगी। ऐसा कह वे ज्यादा पैसों की मांग करने लगे। उन्होंने पांच हज़ार रुपए मांगे।

पायल की धमकियों से डर कर, राहुल ने फौरन पांच हज़ार रुपए उस बैंक के खाते में जमा कर दिए जिसके डिटेल पायल ने उसे भेजे थे। लेकिन यहां उनकी डिमांड नहीं रुकी। अंततः राहुल ने तंग आ कर अपने फोन को बंद कर दिया।

ब्लैकमेलर अब भी शांत नही हुए। अगली सुबह ही राहुल को एक कथित पत्रकार का फोन आया जिसने उससे कहा कि वह किसी चैनल में रिपोर्टर है, और उसे यह जानकारी मिली है कि राहुल के खिलाफ किसी महिला ने बलात्कार के आरोप लगाए है। उस व्यक्ति ने राहुल को और 5,000 रुपय जमा करने की सलाह दी, जिसे भयभीत राहुल ने मान लिया। कुछ देर बाद, ऐसे ही एक कथित यूट्यूबर के कॉल की घंटी, राहुल के फोन पर बजी, इस बार भी राहुल को वीडियो यूट्यूब पर डाल देने की धमकी दी गई।

इस जबरन वसूली के जवाब में अपने बचाव हेतु राहुल ने अपने दोस्तों से उसी नम्बर पर कॉल कर पुलिस में मामला दर्ज कराने की धमकी देने की भी कोशिश की, मगर ब्लैकमेल करने वाले निर्भीक रहे और राहुल की कोशिश नाकामयाब हुई। “मुझे फिर एक बार उनका फोन आया,” राहुल ने कहा। उसने एक बार फिर 2,000 रुपय का भुगतान किया। 

“फिर मैंने हिम्मत कर ली, यार. मैने अब नही करना कुछ भी. जो होता है, होने दे … मैने फोन कर दिए बंद, उनके नम्बर कर दिये ब्लॉक. और जिस नम्बर से मैं फोन कर रहा था, वो मैंने बंद कर दिये।” धमकियों का सिलसिला तो रूक गया, लेकिन इस अनुभव ने राहुल को पूरी तरह से झकझोर कर रख दिया। “मैंने इस पूरे स्कैम में 12,000 रुपय गवा दिए,” उसने कहा। “जो हो चुका है ना … 12,000 रुपये चले गये. मेरे को भगवान ने बचाया. आइ थिंक मैं मर भी जाता — जो सिचुएशन हो चुकी थी. लेकिन ठीक है. बचानेवाला रब था. अकल बुद्धी आ गयी, उस टाइम बुद्धी नही थी.”

“उन्होने दो मिनट के अंदर-अंदर …सारे उसने विडिओ भेज दिये, मेरी फोटो वगैरह सब कुछ भेज दिए…मैं डर गया.”


राहुल एक ऐसे सेक्स आधारित वसूली के शिकार थे जो आज ग्रामीण भारत में पिछले कुछ सालों में पहले के मुकाबले ज़्यादा प्रचलित हो रही है, खास तौर पर तब, जब लोग कोरोना महामारी के कारण घर पर थे। स्कैमर महिला होने का दिखावा कर लोगों को व्हाट्सऐप व फेसबुक अथवा अन्य खास एप्पलीकेशन पर अपना शिकार बनाते हैं। वे लोगों को किसी महिला के वस्त्रहीन होने के वीडियो दिखाते हैं, या फिर उन्हीं लोगों से कुछ यौनिक कार्य वीडियो पर करवाते हैं, जिसकी गुप्त रूप से रिकॉर्डिंग की जाती है, ताकि उसका इस्तेमाल ब्लैकमेल कर पैसे ऐंठने में किया जा सके। कुछ ने तो अब चेहरा/वेश बदलने की तकनीक का इस्तेमाल करजाली तस्वीरें बनाने के प्रयास भी किए हैं।

ऐसी घटनाऐं विश्व भर में देखी जा चुकी हैं। यू.एस में, एफ.बी.आई की रिपोर्ट के मुताबिक इस तरह के स्कैम में बढ़ोतरी नज़र आई है, कुल 18,000 शिकायतें सिर्फ 2021 में इंटरनल कंप्लेन सेंटर के ज़रिए दर्ज हुई। अक्सर, एफ.बी.आई के हिसाब से, ये स्कैम बच्चों व किशोरावस्था के युवकों को अपना शिकार बनाते हैं, ताकि उन्हें किसी तरह बाल उत्पीड़न व शोषण के केस में फंसा कर उनसे पैसे या अन्य तस्वीरों की वसूली की जा सके। युवाओं व किशोरों के इस तरह के स्कैम के शिकार होने के कारण आत्महत्या के भी कई मामले दर्ज किये गए हैं।

भारत में इसकी तादाद का अनुमान लगा पाना बेहद मुश्किल है। चूंकि इसकी गिनती एक गुनाह के रूप में रिकॉर्ड नही की जाती। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े यह बताते हैं कि साल 2020 में 2,440 साइबर क्राइम एक वसूली के उद्देश्य से किये गए थे। सही आंकड़े इस नम्बर से कहीं ज़्यादा हैं, चूंकि अधिकतर मामले दर्ज नहीं होते ऐसे में आँकलन कर पाना मुश्किल है।

मार्च महीने में प्रकाशित हुए एक ओप-एड में महाराष्ट्र साइबर क्राइम डिपार्टमेंट के इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस यशश्वी यादव अनुमान लगाते हैं कि केवल 0.5% सेक्स संबंधित वसूली के मामले पुलिस तक पहुँच पाते हैं, जिन्कि बुनियाद पर एफ.आई.आर दर्ज होती है, काफी हद तक इसलिए क्योंकि सेक्सटॉर्शन का सीधा संबंध शर्म व समाज में कलंकित होने से है। यह आँकड़े, यादव बताते है, भारत को “विश्व की सेक्सटॉर्शन राजधानी बनाती है।” 

उन वकीलों व कानून प्रवर्तन अधिकारियों के मुताबिक जिनसे रेस्ट ऑफ वर्ल्ड ने बात की, सेक्सटॉर्शन स्कैम से जुड़े कई लोग देश के कुछ चुनिंदा जगहों पर स्थित हैं, ज़्यादातर छोटे गाँवों में जहां इन स्कैम के समूह इकट्ठे काम करते हैं।

अपने ओप-एड में, यादव लिखते हैं कि इन स्कैम्स के ज़्यादातर केस मेवात, अलवर और भरतपुर जैसी जगह, जो उत्तर पश्चिमी राजस्थान में हैं, वहाँ से ट्रेस किए जा सकते हैं। एक लोकल न्यूज पोर्टल की रिपोर्ट के मुताबिक पूरे साइबर फ्रॉड में से 70% इन्हीं जगहों के वासीयों द्वारा किये जाते हैं। एक खबर के मुताबिक पिछले एक साल में, पुलिस ने केवल अलवर से 60 से ज़्यादा सेक्सटॉर्शन समूहों को पकड़ा है। इनमें से कुछ लोग तो 18 वर्ष के भी नहीं हैं, कुछ किशोर भी हैं, 14 से 16 वर्षीय, जिनपर 2021 के पहले 6 महीनों में ऐसे स्कैम को अंजाम देने का आरोप है।

हालांकि इन आरोपियों व दर्ज मामलों की संख्या स्थानीय पुलिस की पहुँच व काबिलियत से ऊपर मालूम पड़ती है। एक स्थानीय न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, तकरीबन 800 दर्ज मामलों में जो पीड़ित हैं, वे देश के अलग अलग कोनों से आते हैं, साथ ही काफी पीड़ित दक्षिण राज्य तेलंगाना, पश्चिम में आखरी राज्य गुजरात, और उत्तर में बसा राज्य उत्तर प्रदेश से आते हैं।

रेस्ट ऑफ वर्ल्ड सेमला खुर्द गाँव पहुँची, जो राजस्थान राज्य के अलवर में है। स्थानीय पुलिस के हिसाब से यह गाँव सेक्सटॉर्शन स्कैम्स का केन्द्र है। यहाँ पहुँचकर कुछ ऐसे लोगों से बात की जो स्कैम में सीधे रूप से आरोपी थे, या फिर उसी गाँव के निवासी अथवा सरकारी कर्मचारी हैं। अपने दौरे के दौरान रेस्ट ऑफ वर्ल्ड ने पाया कि सेक्सटॉर्शन का एक संचालित नेटवर्क है जो इस काम को पैसे कमाने का एक आसान रास्ता समझता है, और वहाँ की कानूनी व्यवस्था संसाधनों का अभाव होने की वजह से इस समस्या का सामना करने में असमर्थ थी।


सेमला खुर्द, दिल्ली व जयपुर दोनों से लगभग बराबर की दूरी में बसा, 1,500 की आबादी वाला एक छोटा सा गाँव है। यहाँ पहली दृष्टि से ही यह पता लगाया जा सकता है कि इस गाँव के लोग आस पास के और गावों की तुलना में ज़्यादा अमीर हैं। एक तरफ जहां पास के गाँव में कच्चे मकान देखने को मिलते हैं, वहीं दूसरी ओर इस गाँव मे ज़्यादातर पक्के मकान व गाड़ियों के लिए पार्किंग की सुविधा देखने को मिलती है।

यह बात बिल्कुल साफ है कि सुरक्षा एक चिंता का विषय है। गाँव की सीमा पर व कई घरों में भी कैमरे लगे देखे जा सकते हैं।

जब रेस्ट ऑफ वर्ल्ड अप्रैल 2022 में इस गाँव मे पहुँची, तो पाया कि गाँव मे सन्नाटा था। अधिकतर मर्द काम के लिए बाहर थे, ज़्यादातर सिर्फ औरतें ही घरों पर मौजूद थी। बढ़ते जुर्मों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने अलवर के पुलिस चौकी में आए एक स्थानीय निवासी ने रेस्ट ऑफ वर्ल्ड से बातचीत में बताया कि साइबर क्राइम करने वाले अपने घरों से काम नहीं करते थे, चूंकि उन्हें पता था कि पुलिस वहाँ बहुत आसानी से उन्हें पकड़ लेगी। इसलिए वे आस पास के खेतों में रहकर काम करते थे। उसी निवासी ने रेस्ट ऑफ वर्ल्ड को कुछ ऐसे लोगों से जोड़ा जो इस तरह के काम को अंजाम देते थे। उनमे से एक था मुस्तकीन, जो रेस्ट ऑफ वर्ल्ड को बाइक पर बैठा खेत के भीतर एक झोपड़ी तक लेकर गया। झोपड़ी को ठंडा रखने के लिए उसे एक पेड़ के नीचे बनाया गया था। आस पास के कई खेतों में ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला। यह बात साफ थी कि इन खेतों में कुछ वक्त से खेती नही की गयी थी।

इस झोपड़ी को बाहर से देख कर अंदाज़ा लगा पाना मुश्किल था, मगर अंदर से, यह बिल्कुल एक सेकंड हैंड मोबाइल के दुकान की तरह थी। कई लोग अंदर बैठे एक टक अपने फोन के स्क्रीन को देख रहे थे। उनके बीच तकरीबन 20 मोबाइल फोन थे।

यह झोपड़ी, जो लगभग 10 फ़ीट चौड़ी और 20 फ़ीट लम्बी थी, इसमे सात बिस्तर व गद्दे रखे हुए थे। दो कुर्सियां, कुछ पानी के मटके, कोल्ड ड्रिंक्स, बीड़ी और कुछ पत्ते भी बिखरे हुए थे। झोपड़ी में बिजली उपलब्ध थी, जिनके जरिये वहाँ बैठे युवक अपने फोन को चार्ज कर रहे थे। रेस्ट ऑफ वर्ल्ड के झोपड़ी में प्रवेश करते ही, मस्तकीन जो अपने किशोरावस्था के चरम पर था, और आज़ाद जो लगभग 30 वर्ष का था, इन दोनों को छोड़ बाकी लोग वहाँ से चले गए।(रेस्ट ऑफ वर्ल्ड ने इनकी अधिक जानकारी गुप्त रखने हेतु सिर्फ इनका पहला नाम ही इस्तेमाल किया है)

आज़ाद जो कभी ट्रक ड्राइवर हुआ करता था बताता है कि उसे सेक्सटॉर्शन के बारे में 4 साल पहले उसके अपने रिश्तेदारों ने ही बताया था। वह बताता है कि उसे अपने उन रिश्तेदारों को देख हैरत हुई — जो लोग पहले एक ट्रांसपोर्ट का छोटा मोटा कारोबार किया करते थे, उन्होंने अचानक सब बन्द कर एक बड़ा सा मकान व बहुत सारी गाड़ियां कैसे खरीदी?

जब उसने इन पैसों का राज़ पूछा, तब उसे सेक्सटॉर्शन के बारे में पता चला और उन्होंने उसे स्कैम करने का पूरा तरीका समझाया। आज़ाद — जिसने सिर्फ चौथी क्लास तक ही पढ़ाई की थी — रेस्ट ऑफ़ वर्ल्ड को बताता है कि एक बार उसे समझ आया कि इस ज़रिये वह कितने पैसे कमा सकता था, इसके बाद से उसने कभी पीछे मुड़ कर नही देखा।

आज़ाद का कहना है कि उसका पूरा परिवार सेक्स के ज़रिए की गई वसूली/साइबर क्राइम के पैसों पर ही पल रहा है। वह बताता है कि उसने कम से कम 100 और लोगों को यही काम सिखाया भी है, जो अपनी समझ बनाने के बाद और लोगों को सिखाते हैं। “हमारा तो यहाँ आठ साल का, दस साल का — खूब काटा है जी … कम से कम पांच-पांच लाख, दस-दस लाख रुपये कमा लिये होंगे,” आज़ाद ने बताया।

मस्तकीन ने रेस्ट ऑफ वर्ल्ड से बातचीत में यह बताया कि वह काफी गरीब घर से था। उसने अपनी पढ़ाई कोरोना महामारी के कारण हुई तालाबंदी के समय पूरी की। उसका कहना है कि वह इस खेल में कोई मंझा हुआ खिलाड़ी नहीं था, अभी उसकी ट्रेनिंग ही हो रही थी, और वह किसी तरह अपनी जेब खर्च निकाल लेता था।

“हमारा तो यहाँ आठ साल का, दस साल का — खूब काटा है जी … कम से कम पांच-पांच लाख, दस-दस लाख रुपये कमा लिये होंगे.”

आज़ाद और मस्तकीन मिलकर समझाते हैं कि वे इस काम को अंजाम कैसे देते हैं। पहले, कुछ झूठी जानकारी के ज़रिए एक जाली फेसबुक अकाउंट बनाई जाती है। इसपे किसी भी महिला की तस्वीरें लगा कर उनका एक झूठा परिचय तैयार किया जाता है। महिला की तस्वीर इंटरनेट से, या किसी दूसरी महिला की आईडी से प्राप्त की जाती है। फिर लोगों को ढूंढकर, कोई भी व्यक्ति, जो उनके हिसाब से ऐसा हो जो पैसे भर सके, उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी जाती है। जैसे ही रिक्वेस्ट मंजूर कर ली जाए, उन्हें मैसेज पर किसी तरह बहलाने की कोशिश होती है जिसके बाद बात व्हाट्सऐप पर पहुँचती है।

“कहने की चीज़ फ़ि‍क्स आएगी … इंग्लिश में, समझ आ जायेगा की रिप्लाय ई देगा हमको … भरोसा उस्से बात कर के आए,” मस्तकीन ने कहा। मस्तकीन आम तौर पर अंग्रेज़ी में कुछ चार कथन से शुरुआत करता है: “हाय (नमस्ते)”, “हाऊ आर यू (आप कैसे है)”, “व्हाट डू यू डू (आप क्या करते है)”, “व्हेर आर यू फ्रॉम (आप कहाँ से है)”।

शुरुआती बातचीत के बाद, उसका कहना है, कि वह आगे की बात हिंदी में करता है, एक ऐसी भाषा जो कम से कम 530 मिलियन भारतीय लोग बोलते समझते है। यदि शिकार कॉल पर बात करने का आग्रह करें, तो कुछ बहाना जैसे घर वाले आसपास हैं, यह कहकर कॉल को टाल दिया जाता है।

आज़ाद अपने शिकार का भरोसा जीतने के लिए शुरू से ही कोई कसर नहीं छोड़ता, यदि कोई बात करने को कहे, तो अपनी पत्नी, बहन या किसी अन्य निवासी महिला से उनकी बात करवा देता है। इसके बाद, वे सामने वाले के सामने वीडियो सेक्स का प्रस्ताव रखता है।

एक बार कोई आदमी वीडियो कॉल पर आ जाए, तो स्कैमर उन्हें एक अडल्ट फ़िल्म दिखाते है जिसमे एक महिला अपने वस्त्र उतार रही होती है। स्क्रीन रेकॉर्डर के जरिये आदमी की वीडियो बना ली जाती है। एक बार कॉल खत्म हो जाये, फिर शिकार को रिकॉर्ड की हुई वीडियो भेज दी जाती है, और उसे उनकी सारी माँगे पूरी करने को कहा जाता है, जो न करने पर वह रिकॉर्डिंग उसी के दोस्तों को भेज देने की धमकी दी जाती है।

“पाँच-सात मिनिट में माने रुपया घेर दिया, तब तो है वो मोटी मुर्गी।” आज़ाद बताता है। हालांकि यदि कोई यह कहे कि वे छात्र है या उनके पास पैसे नही, तो आज़ाद उन्हें जाने देता है। “हमारा टारगेट अमीर लोग है। इसलिए हम मुख्य रूप से बनियों को अपना शिकार बनाने की कोशिश करते है।”

आज़ाद बताता है कि पैसे उन्हें ई-मित्र के ज़रिए मिलते हैं, एक ऑनलाइन सरकारी पहल जिससे पैसे डिजिटल रूप से खाते में आ जाये। वे सरकार की डिजिटल सेवाओं की तारीफ़ करता है और ऑनलाइन सेवाओं में बढ़ोतरी केलिए प्रोत्साहित भी।

उस्का कहना है कि वो ई-मित्र सेन्टर पर काम कर रहे कर्मचारियों को छोटी मोटी घूस दे देता है। “हम पैसे लेने के लिए पे-टीएम का भी इस्तेमाल करते है,” मस्तकीन ने बोला।

कोई सुराग न छोड़ने केलिए, आज़ाद कहताते है कि वे लोग दिल्ली से चोरी की हुई मोबाइल व उत्तर पूर्वी राज्य असम की सिम कार्ड का उपयोग करते हैं, जो भारत के बिल्कुल दूसरे कोने पर है।

आज़ाद अपने बचाव में कहता है, “ई कोइ क्राइम ना है, चारसोबीसी है ये तो एक तरीका की. भाई कोइ मर्डर तो हम करें ना कि जमानत ना मिलेगी।” मस्तकीन का कहना है कि वह रोजाना 5,000 रुपये कमाता है। लेकिन उसे डर है कि पुलिस कही गाँव में रहने वाले लोगों पर कार्यवाही न कर दे। उसने बताया कि गाँव मे सेक्सटॉर्शन से सम्बंधित अधिकतर लोगों ने गांव छोड़ दिया है और अब खेतो के बीच छुप कर रहते हैं।


कानूनी व्यवस्था के लिए, उन लोगों को पकड़ना जो साइबर क्राइम में शामिल हो, बेहद कठिन है। चूंकि उनकी भौगोलिक जानकारी निकालना व बिन्दुओ को जोड़ना मुश्किल होता है जब पीड़ित किसी दूसरे राज्य या शहर से हो। गोविंदगढ़ पुलिस स्टेशन, जो सेमला खुर्द से 4 मील दूर है, वहाँ के एसएचओ सुरेष सिंह, जनवरी 2021 की एक ऐसी घटना याद करते है, जब तीन पुलिस अफसर पश्चिम बंगाल से एक सन्देहास्पद नम्बर व उसकी लोकेशन लेकर उनके पास पहुँचे। उन्हें यह अंदेशा था कि व्यक्ति सेक्सटॉर्शन के मामले में शामिल था।

पश्चिम बंगाल के अफसर इस केस की छानबीन कर रहे थे और ढूँढने पर संदिग्ध व्यक्ति का लोकेशन सेमला खुर्द में स्थित एक जगह मालूम पड़ा था। पुलिस ने उस घर पर रेड डालने का फैसला किया।

कुल 13 पुलिसवाले सेमला खुर्द पहुँचे। वहां अपेक्षा से विपरीत, उन्हें एक हैरत कर देने वाली स्तिथि का सामना करना पड़ा।

“उस्से पूछताछ कर रहे थे, इतने में कुछ महिलाएँ आ गयी थी … 10-12 महिलाएँ. उन्होंने आते ही गाली गलोच करना शुरु कर दिया. और उसके बाद में कुछ आदमी भी आ गये थे. और उन्होंने गाड़ी तोड़ दी हमारी,” सिंह ने रेस्ट ऑफ़ वर्ल्ड को बताया। एसएचओ का कहना है कि इस घटना में उनपर 35-40 लोगों ने हमला किया था, जिसके बाद पुलिस को वहाँ से बचकर निकलना पड़ा।

आज़ाद ने गाँव भर में लगे कैमरों पर अपनी बात रखते हुए बताया कि उन कैमरों की फुटेज को देखने के लिए बकायदा कुछ लोगों को नौकरी पर रखा गया था जो उन्हें किसी भी असूचित पुलिस के दौरे के बारे में बता सके।

“कैमरा से पता चल जावे कि पुलिस आ रही है, तो हम इतर भीतर हो जावे, और हमारा घर पे भी कैमरा लगा रखा है तो हमारी जो लेडीज वगैरह रहे …पथराव करें हैं उनके उपर,” उन्होने कहा। सेमला खुर्द के 40 वर्षीय घनश्याम साइनी ने रेस्ट ऑफ वर्ल्ड को बताया कि हालांकि गाँव मे रहने वालों व पुलिस को स्कैम करने वालों की सारी जानकारी थी, लेकिन सभी उन्हें रोकने से भयभीत थे।

“सेक्सटॉर्शन में गुनाह साबित होने का रेट कुछ 1% ही है, और यदि इस बात को आप जोड़ दे इससे कि भारत मे साइबर सेक्युरिटी को लेकर ठीक से बनाए हुए कानून भी नही हैं, इसलिए यह कही न कही गुनहगारों के लिए स्वर्ण युग है.”

गाँव के सरपंच असफ अली ने निवासियों के बचाव में कहा, “रात का समय था … तोड़-फोड़ हो गयी पुलिस से। पुलिस ने उनका फ्रिज, कूलर, एसी-वेसी तोड़ दी … मेरे को पता नही है कि [पुलिस] किस लिये आयी थी।” 

अली ने साइबर फ्रॉड के होने को नकारा तो नही, मगर यह भी कहा कि पूरे गाँव को उसी दृष्टि से देखना गलत होगा।

सेमला खुर्द में हुए रेड के कुछ ही समय बाद पुलिस ने कुल 30 लोगों के खिलाफ आपराधिक शिकायतें दर्ज की। कुछ के खिलाफ सेक्सटॉर्शन व साइबर फ्रॉड का केस बना, तो कुछ के ख़िलाफ़ कानून के ऊपर पथराव करने व पुलिस को उनका काम करने से रोकने की कोशिश की शिकायतें दर्ज हुई। लेकिन इनमें से अधिकतर लोग गिरफ्तारी से पहले ही भाग निकले। बाद में राजस्थान उच्च न्यायालय ने केस को स्थगित कर दिया।

सिंह का कहना है कि जिन लोगों ने इस गुनाह को अंजाम दिया, वे इसमे “पक्के खिलाड़ी’’ थे। दूसरे राज्यों से लोगों को टारगेट करना मतलब पुलिस को ज़्यादा रेड टेप की ज़रूरत होगी उन्हें पकड़ने के लिए। “और इसमें वक़्त चाहिए,”  उन्होने बोला। “इस दौरान, स्कैमर एक जाली सिम कार्ड, व पेटियम और गूगल पे इस्तेमाल करता है, जिस कारण उन्हें पकड़ पाना मुश्किल होता है।”

राकेश गुप्ता जयपुर के रहने वाले राजस्थान उच्च न्यायालय में एक वकील है। उन्होने रेस्ट ऑफ वर्ल्ड से यह बात सांझा की कि स्कैमर्स को पकड़े जाने का डर नहीं होता, क्योंकि उनका मानना है कि वे कुछ ही महीनों में बेल पर निकल आएंगे। चूंकि उनके गुनाह को साबित करने के लिए अक्सर ज़रूरी सबूत नहीं होते, उन्हें आसानी से बेल मिल जाती है, उन्होंने कहा, ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि पुलिस अक्सर यही कहती है कि उन्होंने जाली सिम कार्ड व चोरी किये हुए फोन का इस्तेमाल किया, जिसे ट्रैक कर पाना मुश्किल है।

दूसरी चुनौती है भारत मे मौजूदा साइबर क्राइम से जुड़े कानून। पवन दुग्गल, उच्च न्यायालय के एक वकील, और इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑन साइबर लॉ, साइबर क्राइम व साइबर सेक्युरिटी, रेस्ट ऑफ वर्ल्ड को बताते है कि कई साइबर क्राइम के अटैक भारतीय दंड संहिता में जोड़े ही नही गए। जब तक पुलिस उन्हें पकड़ती है, स्कैम करने वाले लोगों से धोखाधड़ी के नए रास्ते ढूंढ लेते हैं।

“सेक्सटॉर्शन में गुनाह साबित होने का रेट कुछ 1% ही है, और यदि इस बात को आप जोड़ दे इससे कि भारत मे साइबर सेक्युरिटी को लेकर ठीक से बनाए हुए कानून भी नही हैं, इसलिए यह कही न कही गुनहगारों के लिए स्वर्ण युग है,” दुग्गल ने कहा।

चूंकि सेक्सटॉर्शन के कई पीड़ित शर्म की भावना भी महसूस करते हैं, यह गुनहगारों के पलड़े को और मजबूत कर देता है, दुग्गल ने जोड़ा। उनका कहना है कि हर महीने कम से कम 5-6 सेक्सटॉर्शन से जुड़े पीड़ित उनके सम्पर्क में आते है मदद मांगते हुए।

प्रशांत माली मुम्बई के रहने वाले एक साइबर क्राइम और प्राइवेसी वकील है। उन्होंने भी कुछ ऐसी ही बात कही। “सेक्सटॉर्शन के मामले आज कल एक बड़ी तादाद में हो रहे हैं, और लोग शर्म के मारे इन मामलों में केस करने से पीछे हट जाते हैं,” माली ने रेस्ट ऑफ वर्ल्ड से कहा। “मेरे पास रोज़ कई लोग आते हैं, लेकिन कोई भी निर्भीक रूप से सामने नही आना चाहता, और कुछ को तो केस दर्ज करवाने में भी शर्म आती है।”

अधिकतम पीड़ित, उनका कहना है, केस फ़ाइल करने से इसलिए हिचकिचाते हैं क्योंकि उन्हें डर होता है कि उनके परिवार व समाज को पता चल जाएगा, उनकी कोशिश सिर्फ अपने पैसे निकलवाने की होती है। उन्होंने गुप्त रूप से कई पीड़ितों को केस करने केलिए प्रोत्साहित किया। यही शर्म है जो कई लोगों के लिए घातक परिस्थितियाँ भी पैदा करती है। “कुछ लोग जो मेरे पास अपनी फरियाद लेकर आते है, उन्हें अब भी स्कैमरों के सन्देश आते है,” बोले माली। “पीड़ित कई बार यह सोचते है कि यदि उनकी वीडियो बाहर आ गई, तो वे आत्महत्या कर लेंगे। कुछ लोगों ने तो अपने पूरे जीवन की पूंजी लगा दी और अब डिप्रेशन में चले गए।”

ना. विजयशंकर, डाटा प्रोटेक्शन प्रोफेशनल्स इन इंडिया के कार्यकारी अध्यक्ष है। इन्होंने रेस्ट ऑफ वर्ल्ड से बातचीत के दौरान बताया कि हालांकि सेक्सटॉर्शन के केसों के लिए भी कानून उपलब्ध हैं, लेकिन समाज मे इज्जत की बात और भी चिंताजनक हो जाती है उन छोटे शहरो में, जहाँ एक मर्द का किसी महिला से सोशल मीडिया पर बात करना आज भी लांछित माना जाता है। “लोग डेटिंग वेबसाइट और सोशल मीडिया इस्तेमाल तो करते हैं, लेकिन उनका मानना है कि यह बात अपमानजनक होगी यदि उनके परिवार को इसका पता चल गया,” विजयशंकर ने कहा। “इसका उनके भविष्य पर बहुत बुरा असर पड़ेगा, क्योंकि पैसे तो सभी को कमाने हैं।”

वही सेमला खुर्द के नज़दीक, सिंह का कहना है कि पुलिस ने कुछ जागरूकता अभियान शुरू किए है, ताकि लोगों को अपने गतिविधियों का अंजाम समझ आ सके। पुलिस गाँव के बड़े बुजुर्गों से बात करती है और उनसे अपने बच्चो को समझाने की आग्रह करती है कि वे इस गलत रास्ते पर न जाए। सिंह गाँव के बाकी नागरिको से भी यह आग्रह करते है कि वे जागरूक रहे, और साइबर सुरक्षा की ज़रूरत को समझे, और उसी मुताबिक ज़रूरी कदम उठाए। “तो हम लोगों को जागरूक कर रहे है,” उन्होंने कहा।

लेकिन मस्तकीन राज़ी नही हुआ। “जब तक इस देश मे लोग सेक्स के पीछे पागल रहेंगे, तब तक हमारा धंधा जारी रहेगा,” उसने कहा।

भारत मे आत्महत्या रोकने वाली संस्था आसरा तक +91 9820466726 के ज़रिए या फिर इन स्थानीय नम्बरों द्वारा पहुँचा जा सकता है। वही यू.एस में, सुसाइड एन्द क्राइसिस लाइफलाइन तक 988 नम्बर लगा कर पहुँच सकते है। मदद के लिए नम्बरों की लंबी सूची यहाँ उपलब्ध है।